जरा खिसकिये हमे बैठना है। मै खिसका ही था कि उधर से खिसको सामने एक नौजवान चिल्लाकर बोल रहे थे। हमने भी कहा, आप ही इधर बैठ जाइये। फिर वो कुछ बुदबुदाये और आकर बैठ गए। मै उठकर अगली सीट पर चला गया। क्योंकि, हमारा स्टेशन आने वाला था। इसी बीच दोस्त का फोन आ गया और हमारी बात होने लगी उसने कुछ कहा तो हमारे मुंह से निकल गया कि हिटलर ने लिखा है कि किसी भी मुनष्य को आप इसी धरती पर स्वर्ग और नर्क का एहसास करा सकते हो। हमारा ये इशारा वो महिला समझ गई। इतने में आवाज आई बिकू और हमारे दोस्त खड़े थे उतरते ही एक-दूसरे से गले मिले। अचानक सर पर नजर पड़ी सर आप! हमने भी सोचा विवेक तुम से मिल ही लेते हैं। तुम जब भी आते हो मिल के जाते हो तो इस बार हम भी मिल लेते हैं। हमने सर को प्रणाम कि और चलने ही वाला था कि एक बार फिर से उस महिला की ओर देखा तो जैसे लगा वो कुछ कहना चाह रही है। शायद अपने अफसर के बर्ताव पर माफी मांगना चाह रही है, लेकिन ट्रेन चल चुकी थी और वो हमारा इशारा समझ गई थी।
बुधवार, 7 सितंबर 2016
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