सोमवार, 24 जुलाई 2017

न था मालूम माँ फिर न आऊंगा

पतझड़ बीता #सावन आया
बारिश के संग मेघों का आमंत्रण आया
पनघट से #पनिहारिन घर को आई
#बेटा जो #परदेसी हो गइल है
हर शाम माँ बेटे का इन्तजार करती है
घर से कहकर निकला था जल्दी आऊंगा
न था मालूम माँ फिर न आऊंगा
तुझसे जो कहकर आया था माँ
मैं वैसा न बन पाया था माँ
आने को जाने को अब #याद नहीं रहता #माँ
बस तुझको इक इक #पल याद करके जी लेता हूँ माँ