विवेक का आनंद
शुक्रवार, 20 मार्च 2020
झूठ को आओ बरगलाया जाए
झूठ को आओ बरगलाया जाए
गम को भुलाकर मुस्कुराया जाए
हम और तुम में कितने दिन जीयेंगे
आओ हंसकर ये वक्त गुजारा जाए
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1G से 5G की स्पीड और इंसानों की उजड़ती दुनिया, एक नजर कुछ उठते सवालों पर, क्या इनका जवाब है आपके पास
कपोल भीग जाते हैं
कपोल भीग जाते हैं पर आँख तर नहीं होती जीने को दौड़ता हूँ पर दौड़ नहीं होती सिसकियाँ लेकर सो जाता हूँ सिसकियों में विवेक नहीं होती
पत्नी जैसा कौन प्यार करता है
उम्रभर कौन साथ रहता है पत्नी जैसा कौन प्यार करता है वो खुश होती है तो आंखों से आंसू बहते हैं गम में हो तो आंसुओं को मुस्कान बना लेती है...
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जब हमारे जीवन में सिर्फ पत्राचार के लिए चिट्ठी हुआ करती तो इंसान कितना मस्त और सेहतमंद हुआ करता था, लेकिन फिर इंसान के जीवन में दबे पांव काल...
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