कुछ पल का उबाल
कुछ पल का हाहाकार
फिर हम एक धुन में होंगे
आगे बढेंगे फिर बढेंगे
मालायें पहनाई जायेंगी
दीप जलाए जायेंगे
मेरी शहादत पर
फिर से सियासत का रंग चढ़ाया जाएगा
कुछ अपने ही कर्ता धर्ता
लानत मानत देंगे
फिर सुखभोगी की तरह
सत्ता सुख में खो जायेंगे
जयहिन्द