बुधवार, 9 नवंबर 2016

दुनिया के कुछ ऐसे देश जिनकी नहीं है अपनी करंसी

देश-मोनाको
करंसी- यूरो
यूरोपियन कंट्री मोनाको क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का दूसरा सबसे छोटा देश है। देश का क्षेत्रफल 2.02 वर्ग किलोमीटर ही बचा है। कुल जनसंख्या है 37,831 के करीब। देश की पूरी अर्थव्यवस्था फ्रांस पर निर्भर है। इसके चलते यहां यूरो करंसी ही चलती है।
देश - पनामा
करंसी - अमेरिकी डॉलर
पनामा 1903 में कोलंबिया से अलग होकर स्वतंत्र देश बना। पनामा की आर्थिक व्यवस्था अमेरिका पर ही टिकी थी। इसके चलते यहां अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल होता है।
देश - जिम्बाब्वे
करंसी - अमेरिकन डॉलर
2009 में जिम्बाब्वे को भारी मंदी का सामना करना पड़ा। तब इस दक्षिण अफ्रीकी देश ने अमेरिकी डॉलर और दक्षिण अफ्रिकी रैंड जैसी विदेशी करंसी का उपयोग शुरू किया।
देश - इक्वाडोर
करंसी - अमेरिकन डॉलर
1999-2000 में इक्वाडोर को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा, जिससे देश के सकल घरेलू उत्पाद में 6 प्रतिशत की कमी आ गई। देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई और बैंकिंग क्षेत्र धराशायी हो गए। इसी के चलते इक्वाडोर अन्य देशों को अपना कर्ज भी नहीं चुका पाया। ईक्वाडोर की करंसी पूरी तरह से खत्म हो गई और 2000 में राष्ट्रीय कांग्रेस ने अमेरिकी डॉलर को कानूनी रूप से स्वीकार कर लिया।

देश- कोसोवो
करंसी - यूरो
कोसोवो बाल्कन क्षेत्र में स्थित एक विवादास्पद क्षेत्र है। अब भी इसे सर्बिया संविधान स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं देता। हालांकि यूरोप के कई देश इसे स्वतंत्र देश का दर्जा दे चुके हैं। इसी के चलते कोसोवो यूरोपियन करंसी यूरो करंसी का यूज करता है।

देश- नाउरू
करंसी - ऑस्ट्रेलियन डॉलर
यह दुनिया का तीसरा सबसे छोटा देश है और इस देश की अपनी कोई सेना नहीं है। इसका क्षेत्रफल 21.3 वर्ग किलोमीटर में फैला है। कुल जनसंख्या है 10,000 के करीब। जर्मनी ने इस पर कब्जा कर लिया था। फस्र्ट वर्ल्ड वॉर के बाद इसे |ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन के ‘लीग ऑफ नेशंस मैंडेट एडमिनिस्ट्रेटेड’, द्वारा स्वतंत्र देश घोषित किया गया। तभी से यहां ऑस्ट्रेलियन करंसी का यूज हो रहा है।

देश - लिचटेंस्टेन
करंसी - स्विस फ्रैंक
यूरोपियन कंट्री लिचटेंस्टेट का क्षेत्रफल ही मात्र 160 वर्ग किलोमीटर है। देश की कुल आबादी (2015 की गणना के अनुसार) 36925 है, लेकिन यह प्रति व्यक्ति आय और जीडीपी के मामले में दुनिया का नंबर वन देश है। फस्र्ट वर्ल्ड वॉर से पहले जर्मनी का इस देश पर कब्जा था। आजादी के बाद ऑस्ट्रिया और स्विटजरलैंड ने इसे स्वतंत्र देश की मान्यता दी। इसके बाद लिचटेंस्टेट ने स्विटजरलैंड की स्विस फ्रैंक करंसी अपना ली।

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