रविवार, 26 जुलाई 2020

संभल के रोये हैं

तुम्हें आंख में भरके

भर भर के रोये हैं
आंसू में न बह जाओ
संभल के रोये हैं
पलकें हैं कि झपकती नहीं
आंख है कि सोती नहीं
रोती भी है तो तुम्हें याद करके
सोती है तो तुम्हें याद करके
बिन तुम्हारे कोई ख्वाब नहीं है
जो ख्वाब समेटू तो तुम्हीं तुम हो
आंख है हमारी
पुतलियां तुम्हारी हैं

नोट : पुतली मतलब आंख के बीच में काला बिंदु



कोई टिप्पणी नहीं: