सोमवार, 24 अगस्त 2020

सदा खुश है वो

सुकून नहीं है इस हसीं दुनिया

आजकल हवा भी बदली है

घिरे हैं यहां बहुतों से

पर खुद को अकेला पाते हैं

उम्मीद जो पाले हैं दूसरे से

यकीन मानिए रोते होंगे रोज

दरअसल ये जो दिखती है दुनिया

ख़ुशी और गम दोनों समेटे है

दर्द हो तो पल भर के लिए रो लो

पर मुस्कुराना क्यों छोड़ों

बहुत से हैं जो भूखे सोते हैं

आप तो खा के सोते हैं

दोष न किसी का यहाँ

बस किरदार निभा रहे सभी

जो किरदारों में ढल गया

सदा खुश है वो