सुकून नहीं है इस हसीं दुनिया
आजकल हवा भी बदली है
घिरे हैं यहां बहुतों से
पर खुद को अकेला पाते हैं
उम्मीद जो पाले हैं दूसरे से
यकीन मानिए रोते होंगे रोज
दरअसल ये जो दिखती है दुनिया
ख़ुशी और गम दोनों समेटे है
दर्द हो तो पल भर के लिए रो लो
पर मुस्कुराना क्यों छोड़ों
बहुत से हैं जो भूखे सोते हैं
आप तो खा के सोते हैं
दोष न किसी का यहाँ
बस किरदार निभा रहे सभी
जो किरदारों में ढल गया
सदा खुश है वो
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