शनिवार, 4 मार्च 2017

मैं बढूंगा अपने पथ की ओर

उसने मुझसे कहा था
जिस पथ पर मैं कदम रखूँ
वह पथ स्वर्ग की ऒर जाएगा
आज यहीं सोच निकला हूँ अकेला
कि आज मैं अपने पथ पर जाऊंगा
फिर उन राहों में
क्यों न पतझड़ हो, गर्मी का अहसास हो, चमकते गरजते सावन के बादल हों, एक माँ से बिछड़ा हुआ एक बच्चे का बचपन हो, वो जो खेतों में दूसरों की भूख मिटाने को हल जोतता है।
मैं बढूंगा अपने पथ की ऒर। एक सतत प्रयास के साथ पथ पर चलूँगा पथ पर चलूँगा...

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