बुधवार, 28 नवंबर 2018

‌मेट्रो सिटी


‌यहाँ जिंदगी सिर्फ दौड़ती है। न यहाँ न कोई अपने से खुश है न दूसरे की ख़ुशी में शरीक होना चाहता है। रात होते ही प्रेमी युगल यहाँ दिखाना आम बात है। पर सच प्रेम सिर्फ उनकी कामनाओं तक सीमित रहता है, जो आज किसी और के साथ तो कल किसी और के साथ होता है। यहाँ प्रेमिका और प्रेम एक छलावा है जो सिर्फ अपनी महत्वाकांक्षा और अपनी जरूरत के अनुसार बदलता है। यहाँ चमड़ी की कीमत तक लगती है वो भी मजबूरी में नहीं अपनी इच्छाओं की पूर्ति के
‌ लिए। यहाँ ग्रुपों पर सब उपलब्ध है। घुटनों से नीचे तक कपड़े कम ऊपर ज्यादा रहते हैं। ऊंची ऊंची बिल्डिंगों में रातों को महफ़िल सजती है फिर बजती भी सुरीली रातों में। सिगरेट की कश मारतीं  युवतियां और शाम ढले पुरुष मित्र के साथ चेस करती शराब के ग्लास के युवतियां खूब मिलेंगी।
‌चेहरे की खूबसूरती भी आँखों का धोखा भी हो सकता है। 

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