मृत्यु शय्या पर लेटा
मुर्दा जब बोल पड़ा
तब समाज नाम की आंखों में
शर्म नाम की चीज दिखी
कुछ घंटों पहले जब उसको
निर्वस्त्र कर नहलाया जा रहा था
हर उम्रदराज प्रत्यक्षदर्शी बन देख रहे थे
जब प्रत्यक्ष ही मुर्दा बोल पड़ा
तब समाज की सारी कुंठाएं जीवित हो उठीं
मुर्दा जब समाज में अपने को पाया
फिर समाज की कुंठाओं में
खुद को घिरता पाया
रोज ही वो अब इस समाज में
रेला पेला जाता है
फिर से ही वो खुद को
मृत्यु शय्या पर पाता है
मुर्दा जब बोल पड़ा
तब समाज नाम की आंखों में
शर्म नाम की चीज दिखी
कुछ घंटों पहले जब उसको
निर्वस्त्र कर नहलाया जा रहा था
हर उम्रदराज प्रत्यक्षदर्शी बन देख रहे थे
जब प्रत्यक्ष ही मुर्दा बोल पड़ा
तब समाज की सारी कुंठाएं जीवित हो उठीं
मुर्दा जब समाज में अपने को पाया
फिर समाज की कुंठाओं में
खुद को घिरता पाया
रोज ही वो अब इस समाज में
रेला पेला जाता है
फिर से ही वो खुद को
मृत्यु शय्या पर पाता है
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