मंगलवार, 15 दिसंबर 2020

न हम उनके जैसे थे न हैं और न होंगे

 जब उनसे रुखसत हुए 

हाल ए दर्द लिए रुखसत

सोचा दर्द बेच आएं बाजार में

हम भी गए बाजार में

बाजार जख्म खानेवालों से भरा मिला

अपना दर्द लिए ही लौट आये 

साथ ही एक और दर्द से मुलाक़ात हो गई

अब तो दर्द में ही जीने का सफर चल पड़ा

अब तो दर्द दे भी जाए कोई तो फर्क नहीं पड़ता

न हम उनके जैसे थे न हैं और न होंगे

फिर भी उनसे किसी मोड़ पर मुलाक़ात होगी तो नजरें जरूर मिलाएंगे


सोमवार, 9 नवंबर 2020

थोड़ी सी मुस्कुराई, शरमाई और लौट गई

 रह गई मेरी देहरी पर आते आते

झांककर वो वहीं ठहर गई

थोड़ी सी मुस्कुराई, शरमाई और लौट गई

हमने भी देहरी से और शहर का रास्ता देख लिया

अब जो आएगी देहरी पर तो वो रूआँसु से होके जायेगी

मंगलवार, 22 सितंबर 2020

सत्ता सुख में खो जाएंगे

 कुछ पल का उबाल 

कुछ पल का हाहाकार 

फिर हम एक धुन में होंगे 

आगे बढेंगे फिर बढेंगे 

मालायें पहनाई जायेंगी 

दीप जलाए जायेंगे 

मेरी शहादत पर 

फिर से सियासत का रंग चढ़ाया जाएगा 

कुछ अपने ही कर्ता धर्ता 

लानत मानत देंगे 

फिर सुखभोगी की तरह 

सत्ता सुख में खो जायेंगे 

जयहिन्द

सोमवार, 14 सितंबर 2020

गर्व से कहो हम हिंदीवासी हैं

 कौन धरा पर यह किसको भाति है

हिंदी की बिंदी खुद अपना #अस्तित्व बचाती है
जिस #जुबान पर #मॉम से पहले #माँ आती है
ऐसे देश में हिंदी खुद को लड़ता पाती है
#फ़िल्मी #दुनिया हिंदी से ही #मालामाल बनती है
पर इन #फिल्मकारों को हिंदी बोलने में शर्म महसूस होती है
#विद्या धन आलय में जिससे पैसा आये वह #भाषा प्यारी है
#अमेरिका, #जापान, #चीन अपनी #मातृभाषा पर इतराते हैं
इक भारतवासी हैं जो #हिंदीवासी कहलाने में लज्जित महसूस करते हैं
बड़े बड़े #लेख छपे #अखबारों में
हमने आज सुना है हिंदी का भी दिन होता है हिंदी वालों में
गर्व से कहो हम हिंदीवासी हैं


सोमवार, 24 अगस्त 2020

सदा खुश है वो

सुकून नहीं है इस हसीं दुनिया

आजकल हवा भी बदली है

घिरे हैं यहां बहुतों से

पर खुद को अकेला पाते हैं

उम्मीद जो पाले हैं दूसरे से

यकीन मानिए रोते होंगे रोज

दरअसल ये जो दिखती है दुनिया

ख़ुशी और गम दोनों समेटे है

दर्द हो तो पल भर के लिए रो लो

पर मुस्कुराना क्यों छोड़ों

बहुत से हैं जो भूखे सोते हैं

आप तो खा के सोते हैं

दोष न किसी का यहाँ

बस किरदार निभा रहे सभी

जो किरदारों में ढल गया

सदा खुश है वो

बुधवार, 29 जुलाई 2020

दिल जितनी बार लगाया पहला ही याद आया

मिले नहीं तो क्या हुआ
हम दर्द में जी लेंगे
दर्द कम हुआ तो क्या
बाजार से दर्द खरीद लेंगे
न मिला दर्द वहां तो क्या
दिल लगाके फिर तोड़ लेंगे
सुकून अब दर्द में ही मिलता है
दिल जितनी बार लगाया पहला ही याद आया
न जाने क्या था उनमें
सारा शहर अब वीरान सा लगता है
दर्द भी अब गुजारिश कर रहा है
पहला याद कर ले सुकून आएगा
दर्द भी साया हो गया अपना 
जब से बेगाना हो गया अपना
अब किस बाजार जाउं मैं
दर्द के बाजार भी अब गवाही दे रहे
सोचता हूं फिर दिल लगाउं मैं
सोचता हूं पहले वाले से उभर जाउं मैं


रविवार, 26 जुलाई 2020

संभल के रोये हैं

तुम्हें आंख में भरके

भर भर के रोये हैं
आंसू में न बह जाओ
संभल के रोये हैं
पलकें हैं कि झपकती नहीं
आंख है कि सोती नहीं
रोती भी है तो तुम्हें याद करके
सोती है तो तुम्हें याद करके
बिन तुम्हारे कोई ख्वाब नहीं है
जो ख्वाब समेटू तो तुम्हीं तुम हो
आंख है हमारी
पुतलियां तुम्हारी हैं

नोट : पुतली मतलब आंख के बीच में काला बिंदु



गुरुवार, 23 जुलाई 2020

जब तुम आते हो

सुना है देर तक रहते हो
बताओ दिल में करते क्या हो
कुछ पल में मेरे अहसास चुरा लेते हो
और जाते जाते दिल में मीठा दर्द जगा जाते हो
जब तुम आते हो
दिल भी तुम्हारी तरह धड़कता है
बताओ अच्छा ये तड़पाना कहां से सीखा है
चलो अच्छा है इसी बहाने दिल में तो आते हो
प्यार न सही दोस्ती तो निभाते हो
चलो कुछ पल अहसास तो रहता है
जब तुम इस दिल में दस्तक देते हो
ठीक है तुम यूं ही आते रहना
तुम दोस्ती निभाना और हम अपना किया वादा निभाते रहेंगे।


बुधवार, 22 जुलाई 2020

पत्नी जैसा कौन प्यार करता है

उम्रभर कौन साथ रहता है
पत्नी जैसा कौन प्यार करता है
वो खुश होती है तो आंखों से आंसू बहते हैं
गम में हो तो आंसुओं को मुस्कान बना लेती है
पत्नी जैसा प्यार कौन करता है
मेरे गुस्से को अपनी अठखेलियों से छूमंतर कर देती
और जब गुस्से में हो तो चुप सी रहती
पत्नी जैसा प्यार कौन करता है
मैं तो थोड़े काम में थक जाता हूँ
पर वो घर का सारा काम करके नहीं थकती
पत्नी जैसा प्यार कौन करता है
गुस्से में बिन खाये जब घर से जाऊं
मेरे आने तक भूखी रहती
पर पगली घर आने पर मुझसे कहती
खाना खाया आपने
जब उससे पूछते हम
तो मुस्कुराकर कहती हां खाया हमने
उम्रभर कौन साथ रहता है
पत्नी जैसा कौन प्यार करता है


बुधवार, 1 अप्रैल 2020

मुझसे मिलने आना तो रंजिश छोडकर आना मेरे दोस्त

मुझसे मिलने आना तो रंजिश छोडकर आना मेरे दोस्त
अगर दिल गवाही न दे तो कतई न आना
बस याद कर लेना शाम की वो घडी कि हम दोनों साथ हैं
हम दोनों की गलतफहमी ने दिल की दूरी दी बढा दी है
दोनों इस बात से तकल्लुम करते हैं
कि एक के बिना दूसरा कुछ नहीं है
अब हम जब जा रहे हैं इस दुनिया से दोस्त
तो यादों को दिल से डिलीट कर देना
पता हम दोनों के लिए को यह आसान नहीं है
पर दोनों को जीने के लिए यह आसान कर देगा
हां, अब जब हम दोबारा से मिलेंगे तो एक मुक्तसर जिंदगी जीएंगे
उन्हीं को एक अहसास की तरह समेट लेंगे
आना हो तो आना जरूर
हम मिलेंगे वहीं पर जहां पहली दफा मिले

नोट : #तकल्लुम मतलब #बातचीत
#मुक्त्सर मतलब #संक्षेप, #छोटा

शनिवार, 28 मार्च 2020

लौटेंगे हम भी अपने गाँव को


लौटेंगे हम भी अपने गाँव को
अभी शहर का गुरूर देखना है
कभी गुजारी थी गाँव में अल्हड़ वाली ज़िन्दगी
अब हर एक शहर में हम बस किरायेदार हैं
है यहाँ की बहुत रंगीनी दुनिया
पर रंगीनियों पर हर दर्द भारी है
शहर को गाँव से बेहतर समझ के दूर हुए
शहरों की दौलत पर रिश्तों की डोर भारी है

शुक्रवार, 20 मार्च 2020

झूठ को आओ बरगलाया जाए

झूठ को आओ बरगलाया जाए 
गम को भुलाकर मुस्‍कुराया जाए 
हम और तुम में कितने दिन जीयेंगे 
आओ हंसकर ये वक्‍त गुजारा जाए

सोमवार, 24 फ़रवरी 2020

कपोल भीग जाते हैं

कपोल भीग जाते हैं
पर आँख तर नहीं होती
जीने को दौड़ता हूँ
पर दौड़ नहीं होती
सिसकियाँ लेकर सो जाता हूँ
सिसकियों में विवेक नहीं होती