विवेक का आनंद
गुरुवार, 13 अक्तूबर 2016
बोतल थी भरी हुई
मैं गुजरा मयखाने के पास से
पिलाने वाला कोई न था
बोतल थी भरी हुई
उसे टटोलने वाला कोई न था
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1G से 5G की स्पीड और इंसानों की उजड़ती दुनिया, एक नजर कुछ उठते सवालों पर, क्या इनका जवाब है आपके पास
कपोल भीग जाते हैं
कपोल भीग जाते हैं पर आँख तर नहीं होती जीने को दौड़ता हूँ पर दौड़ नहीं होती सिसकियाँ लेकर सो जाता हूँ सिसकियों में विवेक नहीं होती
पत्नी जैसा कौन प्यार करता है
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1G से 5G की स्पीड और इंसानों की उजड़ती दुनिया, एक नजर कुछ उठते सवालों पर, क्या इनका जवाब है आपके पास
जब हमारे जीवन में सिर्फ पत्राचार के लिए चिट्ठी हुआ करती तो इंसान कितना मस्त और सेहतमंद हुआ करता था, लेकिन फिर इंसान के जीवन में दबे पांव काल...
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