मेरे आंसू रुक नहीं सकते थे क्या हुआ
तू रुक सकता था तो क्यों नहीं हुआ
मैं यहाँ तन्हा जी के खुश हूँ
तू शीशमहल में खुश हो के तन्हा है
मैं तो घर से चला था तेरे साथ चलने को
जब बीच राह में तुमने मेरा दामन छोड़ा
आज मैं तन्हा हो के भी खुश हूँ
और तू खुश हो के तन्हा है।
तू रुक सकता था तो क्यों नहीं हुआ
मैं यहाँ तन्हा जी के खुश हूँ
तू शीशमहल में खुश हो के तन्हा है
मैं तो घर से चला था तेरे साथ चलने को
जब बीच राह में तुमने मेरा दामन छोड़ा
आज मैं तन्हा हो के भी खुश हूँ
और तू खुश हो के तन्हा है।
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