शनिवार, 8 अक्तूबर 2016

हम अपने हाथों मेँ खंजर नहीं रखते

कश्तियों को साहिल से लड़ने मेँ मजा आता है
हमको ज़िन्दगी से जीतने मेँ मजा आता है
दिन रात हमारे दुश्मन हमे मात देने की सोचते रहते हैँ
उनकी इस बेचैनी से हमे हौसला आता है
हम अपने हाथों मेँ खंजर नहीं रखते
मगर वो हैँ अपने दिल मेँ खंजर चुभने की जगह रखते हैँ
ज़िन्दगी मेँ मिलने से वास्ता बस इतना सा है
हम जैसे ज़िन्दगी के सफर मेँ मिलते तो हैँ

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