गुरुवार, 6 अक्तूबर 2016

जिंदगी के पांव में लाख बेड़ियां सही

जिंदगी के पांव में लाख बेड़ियां सही
पर तोड़ने का हौसला तो लाओ
दिनों-दिन अपना विस्तार वो जो करते हैं
मिट जाने का अहसास वो भी करते हैं
छुप-छुपकर वार वो करते जो करते हैं
खुलकर विरोध न करने का इजहार वो करते हैं
थक हारकर आते हैं वो मेरे दर पर
समझौता करने का प्रस्ताव वो रखते हैं
जिंदगी के पांव में लाख बेड़ियां सही
पर तोड़ने का हौसला तो लाओ

3 टिप्‍पणियां:

ANIL KUMAR ने कहा…

Great Thought

ANIL KUMAR ने कहा…

I appreciate you thought to write these lines.
May God help you to be a great writer.

Vivekshanti ने कहा…

धन्यवाद आपका